वृन्दावन में विधवाओ के प्रति जो निर्दयिता बरती जा रही है
ये जानकर वास्तव में रोंगटे खड़े हो गए भगवान कृष्ण की
भूमि पर ये अत्याचार कैसे हो सकता है क्या विधवा होना न होना किसी स्त्री
के वश में है या सिर्फ उन्हें पति के उपभोग का साधन मात्र माना गया है
जिसकी उपयोगिता पति की मृत्यु के बाद ही खत्म हो जाती है क्या परिवार जहा
वो पैदा हुई या ब्याहि गयी उन परिवारों के लिए भी वो बेकार की वस्तु हो जाती है अगर जीवन और मृत्यु इश्वर की इच्छा पर निर्भर करती है तो पति की मौत का दोष या दुर्भाग्य का कारण पत्नी को क्यों माना जाता है कुछ समय
पहले ओपरा विम्फ्रे की होस्ट भी वृन्दावन के दौरे पर गयी विकासशील और
आधुनिक होने के झूठे नाटक करते भारत में इन विधवाओ की ये दशा देख कर वो
अवाक् दिखी की जहा एक तरफ इंदिरा गाँधी,सोनिया गाँधी जैसी महिलाये जो पति
के न होते हुए भी समाज और देश में इतनी सशक्त भूमिका में दिखती है वही ये
विधवाए किसी आश्रम या सड़क किनारे भीख या दान के चंद दाने चावल और दाल के
सहारे जिंदगी गुजार रही है वही ये खबर दहलाने वाली है की समाज द्वारा
अभागिन और अपशगुनी घोषित इन विधवाओ की मृत्यु के बाद इनके शरीर के टुकड़े
टुकड़े कर सिर्फ इस लिए फेक दिया जाता है की इनके क्रियाकर्म का पैसा नही
होता ,सामाजिक प्राणी होने के नाते ये हम सबके लिए बेहद शर्म की बात है
या कहे डूब मरने की जहा आज हमारे बॉलीवुड का एक वर्ग सनी लिओने जैसी
महिला को जो वास्तव में समाज के लिए खतरा है उन्हें समाज में सम्मान दे
रहे ही वही इन बेचारी विधवाओ को न सम्मानित जीवन दे प् रहे है और न ही
मौत .............
ये जानकर वास्तव में रोंगटे खड़े हो गए भगवान कृष्ण की
भूमि पर ये अत्याचार कैसे हो सकता है क्या विधवा होना न होना किसी स्त्री
के वश में है या सिर्फ उन्हें पति के उपभोग का साधन मात्र माना गया है
जिसकी उपयोगिता पति की मृत्यु के बाद ही खत्म हो जाती है क्या परिवार जहा
वो पैदा हुई या ब्याहि गयी उन परिवारों के लिए भी वो बेकार की वस्तु हो जाती है अगर जीवन और मृत्यु इश्वर की इच्छा पर निर्भर करती है तो पति की मौत का दोष या दुर्भाग्य का कारण पत्नी को क्यों माना जाता है कुछ समय
पहले ओपरा विम्फ्रे की होस्ट भी वृन्दावन के दौरे पर गयी विकासशील और
आधुनिक होने के झूठे नाटक करते भारत में इन विधवाओ की ये दशा देख कर वो
अवाक् दिखी की जहा एक तरफ इंदिरा गाँधी,सोनिया गाँधी जैसी महिलाये जो पति
के न होते हुए भी समाज और देश में इतनी सशक्त भूमिका में दिखती है वही ये
विधवाए किसी आश्रम या सड़क किनारे भीख या दान के चंद दाने चावल और दाल के
सहारे जिंदगी गुजार रही है वही ये खबर दहलाने वाली है की समाज द्वारा
अभागिन और अपशगुनी घोषित इन विधवाओ की मृत्यु के बाद इनके शरीर के टुकड़े
टुकड़े कर सिर्फ इस लिए फेक दिया जाता है की इनके क्रियाकर्म का पैसा नही
होता ,सामाजिक प्राणी होने के नाते ये हम सबके लिए बेहद शर्म की बात है
या कहे डूब मरने की जहा आज हमारे बॉलीवुड का एक वर्ग सनी लिओने जैसी
महिला को जो वास्तव में समाज के लिए खतरा है उन्हें समाज में सम्मान दे
रहे ही वही इन बेचारी विधवाओ को न सम्मानित जीवन दे प् रहे है और न ही
मौत .............